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Monday, August 11, 2014

Duwaaa

या इलाही तुजे "तेरे महबूब" के नूर
का वास्ता...!
तुजे "फ़ातेमा" की अजमत का वास्ता...!
तुजे "हसनैन" की सहादत का वास्ता...!
तुजे "अबू बकर" की सदाकत
का वास्ता...!
तुजे "उमर की अदालत का वास्ता...!
तुजे "उस्मान" की सखावत
का वास्ता...!
तुजे "अली" की सुजा'अत का वास्ता...!
तुजे "गॉस" इ पाक की विलायत
का वास्ता...!
तुजे "ख्वाजा" की गरीब
नवाजी का वास्ता...!
तुजे "आला हज़रात" के इश्क इ रसूल
का वास्ता...!
तुजे "हुजुर मुफ़्ती इ आज़म"
की सादगी का वास्ता...!
तमाम सुन्नी साहिउल
मुसलमानों को नेक आमल की तोफिक
दे बद-
मज्हबो की सोहबत से बचा, जादू
बाला गीबत
और हसाद से दूर रख. जो बे-औलाद है
उन्हें नेक
और सुअलेह औलाद अता फरमा, जो बे
रोज़गार है
उनके लिए गैब से हलाल रिजक के
दरवाज़े खोल
दे, जो बर्सार इ रोज़गार है
उनको हलाल रिजक
अता फरमा आफियत के साथ, जो क़र्ज़
में डूबे
हुए है उनके लिए सरकार इ उस्मान
गनी के
खजाने से गैब से असबाब पैदा कर
उन्हें क़र्ज़ से
नजात दिला,
या रब्बना या रब्बना या रब्बना हमे
तेरे प्यारे
महबूब की जालियो की जियारत नसीब
फार्म, हमे
मौत मदीने में नसीब फरमा या अल्लाह
नबी इ
पाक के सदके हमारा मदफन जन्नतुल
बाकि में हो,
हमारा खात्मा ईमान पर हो आमीन..

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