1. खुदा ने महबूब को मां के पेट से पैदा किया ताकि लोग खुदा ना समझें ।
2. बचपन मे बकरियाँ चरवाई ताकि लोग खुदा ना समझें ।
3. आप ने निकाह कीया ताकि लोग खुदा ना समझें ।
4. आप ने खाली पेट फाके किये ताकि लोग खुदा ना समझें ।
5. आप ने नमाजे पडी अल्लाह की तिलावत की ताकि लोग खुदा ना समझें ।
लेकिन -
1. अल्लाह ने आप को अपना हबीब
बनाया ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
2. आप के पसीने मुबारक से खुशबू
अता की ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
3. आप कि हाथों कि उंगलियों से पानि के चश्मे
बहाए ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
4. आप कि उंगलियों के इशारे से चांद के दो टुकडे किये
ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
5. आप के जिस्मे पाक का कभी भी शाया ना पडा ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
कंकड से कलमा पढवाओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
डूबे सूरज को लौटाओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
तुम भी ज़रा मेराज को जाओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
जाओ नमाज़ें लेके आओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
लोहे से तलवार बनाना आम है दुनिया में लेकिन,
टहनी को तलवार बनाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
पेशानी पर दाग़ बनाना कोई मुश्किल काम नहीं,
नक़्श क़दम पत्थर पे बनाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
हवायें, दरो दीवार सलामी देने लगे कुछ ऐसा करो,
पेड को अपने पास बुलाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
उपर जाना निचे आना ये तो बशर की ताक़त है,
सैर-ए-जन्नत कर के दिखाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
उनकी हर एक ऊँगली से था जारी चष्मा ऐ मुबीन,
पानी उन प्यासों को पिलाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
वो तो कर आए दीदार ख़ुदा का,
तुम बस अर्श को छू के दिखाओ,
*
फिर कहना हम जैसे थे....!
~*~
-:-:सल्लल्लाहु अलैही व आलिही वसल्लम :-:-
2. बचपन मे बकरियाँ चरवाई ताकि लोग खुदा ना समझें ।
3. आप ने निकाह कीया ताकि लोग खुदा ना समझें ।
4. आप ने खाली पेट फाके किये ताकि लोग खुदा ना समझें ।
5. आप ने नमाजे पडी अल्लाह की तिलावत की ताकि लोग खुदा ना समझें ।
लेकिन -
1. अल्लाह ने आप को अपना हबीब
बनाया ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
2. आप के पसीने मुबारक से खुशबू
अता की ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
3. आप कि हाथों कि उंगलियों से पानि के चश्मे
बहाए ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
4. आप कि उंगलियों के इशारे से चांद के दो टुकडे किये
ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
5. आप के जिस्मे पाक का कभी भी शाया ना पडा ताकि लोग अपनी तरह ना समझें ।
कंकड से कलमा पढवाओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
डूबे सूरज को लौटाओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
तुम भी ज़रा मेराज को जाओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
जाओ नमाज़ें लेके आओ, फिर कहना हम जैसे थे,
*
लोहे से तलवार बनाना आम है दुनिया में लेकिन,
टहनी को तलवार बनाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
पेशानी पर दाग़ बनाना कोई मुश्किल काम नहीं,
नक़्श क़दम पत्थर पे बनाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
हवायें, दरो दीवार सलामी देने लगे कुछ ऐसा करो,
पेड को अपने पास बुलाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
उपर जाना निचे आना ये तो बशर की ताक़त है,
सैर-ए-जन्नत कर के दिखाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
उनकी हर एक ऊँगली से था जारी चष्मा ऐ मुबीन,
पानी उन प्यासों को पिलाओ,
फिर कहना हम जैसे थे,
*
वो तो कर आए दीदार ख़ुदा का,
तुम बस अर्श को छू के दिखाओ,
*
फिर कहना हम जैसे थे....!
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-:-:सल्लल्लाहु अलैही व आलिही वसल्लम :-:-
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